जीवन जीने की कला साधना, धर्म, समाज. हिन्दी साहित्य और सामासिक संस्कृति स्वास्थ्य-सुख सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस
हड्डी के आकार में परिवर्तन आ जाता है रीढ़ की हड्डी अकड़ने लगती है इसके मुल कारणआम लक्षणो में दर्द अकड़न, गर्दन को घुमाने और झुकाने में असमर्था अक्षमता सिर चकराना, झुनझुनी, सुन्नता, तथा कमजोरी का अनुभव होना आदि प्रमुख लक्षण हैं सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस सुजन, दर्द, मांसपेशियां मे खिचाव और अकड़न कम्प्यूटर के सामने ज्यादा देर तक बैठे रहने से
आज के समय की तेज रफ्तार भरी हुई जिन्दगी में मनुष्य के पास अपने लिए वक्त नहीं है थोडा सा ध्यान चिन्तन करने के लिए हम आज के इस दौर में अपने शरीर के लिए हमें स्वस्थ रहने के वक्त नहीं दे पाते हैं जिसका नतीजा हमें रोग के कारण बन जाते हैं हम खुद को रोगों का घर बना लेते हैं और तब हमें आभास होता है कि क्या हम गलती कर बैठे हैं और तब तक देर हो चुकी होती है इसी का एक कारण है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस जो हमारे जिन्दगी को बहुत ही प्रभावित करता है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस क्या है और कहा शरीर को नुकसान पहुंचाती है और वह किसी भी स्थिति को हम कैसे इससे बच सकते हैं इसकी जानकारी बहुत ही जरूरी पहलु है प्रथम अवस्था में ही पहचान कर इस पर काबू पाया जा सकता है
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical spondylosis) की समस्या रीढ़ की हड्डी के क्षय के कारण होती हैगर्दन में दर्द, अकड़न एव शिर चक्कराना इसके प्रमुख लक्षण है अनदेखा करने पर या अनदेखा किए जानेपर यह दर्द कन्धौ से होकर हाथों तक जा सकता है वयस्कों के आलावा आजकल मध्यवयसी यहा तक की युवा वर्ग भी इस रोग से बुरी तरह से पीड़ित हैं किन्तु कुछ उचित दवा द्वारा तथा कुछ ब्याम के द्वारा कुछ निजी दिनचर्या के द्वारा एडवांस्ड फिजियोथेरेपी के द्वारा सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण होने वाले गर्दन दर्द से छुटकारा पाना संभव है
दिन भर की भाग दौड़ और आफिस का ढेरो काम कम्प्यूटर के सामने ज्यादा देर तक बैठे रहने से कई तरह की बीमारियों घर कर जाती है इनमें गर्दन का दर्द यानी सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक आम बीमारी है जो आज कल युवाओं मे ज्यादा देखने को मिल रही है इस समस्या को नजरअंदाज करना खतरनाक है
आक्रांत मेरुदंड का ऊपरी भाग ➗ सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के आम लक्षणो में दर्द अकड़न, गर्दन को घुमाने और झुकाने में असमर्था अक्षमता सिर चकराना, झुनझुनी, सुन्नता, तथा कमजोरी का अनुभव होना आदि प्रमुख लक्षण हैं सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की समस्या साधारण रीढ की हड्डियों के घिसने और इनके क्षय होने के कारण होती है उम्र बढ़ने के साथ गर्दन की रीढ़ के डिस्क धीरे धीरे घिसते जाते हैं इनके बीच का तरल पदार्थ कम हो जाता है कम होने की वजह से रीढ़ की हड्डी अकड़ने लगती है इससे रीढ़ की हड्डी के सामान्य ढांचे और कार्य शक्ति में बदलाव होने लगता है वैसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस किसी भी उम्र के ब्यक्ति को प्रभावित कर सकता है
हर आयु के लोग हैं पीडि़त÷सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक बढती उम्र की समस्या है जिसमें गर्दन की रीढ की हड्डी रीढ के जोड प्रभावित होते हैं उम्र बढ़ने की वजह से शरीर में हो रहे जैव रसायनिक परिवर्तनों का असर जहां समूचे शरीर के टिशुओ पर होता है वहीं रीढ की डिस्क के आकार पर इनका इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है 40 वर्ष की उम्र होने तक हो सकता है कि आपकी रीढ़ की डिस्क के बीच का तरल पदार्थ सूखने लग जाय और रीढ सिकुड़ने लगे ऐसी हालत में रीढ की हड्डी बाहर की तरफ निकल आती है या फिर हड्डी के आकार में परिवर्तन आ जाता है कई बार तो डिस्क के आकार में परिवर्तन आ जाता है कई बार डिस्क में दरार देखने को मिलती है इससे ये फैलने लगते हैं या हनि़येटेड (herniated) हो जाते हैं यहाँ तक की रीढ़ की हड्डी में असामान्य बृध्दि (bone spurs) जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है ऐसी अवस्था में रीढ और नर्व की जड पर अतिरिक्त दबाव पडने लगता है जिससे जोडो में दर्द महसूस होता है और इस तरह गर्दन को घुमाने फिराने में परेशानी होने लगती है इसके आलावा गर्दन पर लगी कोई चोट कार्य संबंधित गतिविधियों से गर्दन में उत्पन्न तनाव, आनुवांशिकता, मोटापा, और निष्क्रिय जीवन शैली से भी सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस हो सकता है
मुल कारणों की चिकित्सा है जरूरी---सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की प्रचलित चिकित्सा से दर्द और इससे जुड़े लक्षणों में केवल अस्थायी राहत ही मिलती है ऐसी अवस्था में पीडित ब्यक्ति को पेनकिलर की आदत पड़ जाती है और गम्भीर मसलों मामलो मे सर्जरी का सुझाव दिया जाता है और वही दूसरी ओर होमियोपैथिक आयुर्वेद यूनानी पद्धति के द्वारा कुछ ब्याम फिजियोथेरेपी के द्वारा इससे निजात पाना संभव है इसके मुल कारण देखकर सुजन, दर्द, मांसपेशियां मे खिचाव और अकड़न पर काबू पाया जा सकता है कुछ पद्धति के द्वारा हम कैसे तंदुरुस्त ओर सेहत मन्द रह सकते हैं
योग द्वारा सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस पर काबू - योग के द्वारा हम इस पर काबू पाने में सफलता मिलती है गर्दन को आगे हाथ से माथे पर रखकर गर्दन को पिछे की तरफ ढकेलते है और गर्दन को आगे की तरफ ढकेलते है फिर इसी प्रकार गर्दन के पिछे हाथ लगाकर आगे की तरफ ढकेलते है और गर्दन को पिछे की तरफ ढकेलते है इसी प्रकार से दायें कान के ऊपर सर को बायें तरफ ढकेलते है और गर्दन को दाहिने तरफ ढकेलते है फिर इसी प्रकार से बाये कान के ऊपर सर पर हाथ के पन्जलियो द्वारा दाहिने तरफ ढकेलते है और गर्दन को बाये तरफ ढकेलते है यह प्रक्रिया रोज शान्त होकर आराम से किया जाना चाहिए तथा इसी प्रकार से दोनों हाथ को कन्धों पर रखकर गोल गोल प्रक्रिया के द्वारा घुमाते हुए एक बार दायें और एक बार बाये घुमाते हुए करना चाहिए और यह क्रिया तीन से चार बार करनी चाहिए उचित होगा कि आप किसी बिशेष जानकर के द्वारा उनकी देखरेख में किया जाना चाहिए क्योंकि इसको गलत तरीके से करने पर इससे दुष्परिणाम भी निकल सकते हैं
उचित देखकर किसी विशेष जानकार के द्वारा तथा खुद के दिनचर्या में बदलाव लाकर हम इस पर काबू में रखसकते है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical spondylosis) की समस्या रीढ़ की हड्डी के क्षय के कारण होती हैगर्दन में दर्द, अकड़न एव शिर चक्कराना इसके प्रमुख लक्षण है अनदेखा करने पर या अनदेखा किए जानेपर यह दर्द कन्धौ से होकर हाथों तक जा सकता है वयस्कों के आलावा आजकल मध्यवयसी यहा तक की युवा वर्ग भी इस रोग से बुरी तरह से पीड़ित हैं किन्तु कुछ उचित दवा द्वारा तथा कुछ ब्याम के द्वारा कुछ निजी दिनचर्या के द्वारा एडवांस्ड फिजियोथेरेपी के द्वारा सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण होने वाले गर्दन दर्द से छुटकारा पाना संभव है
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस गर्दन दर्द योग द्वारा सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस पर काबू मुल कारणों की चिकित्सा है जरूरी- आक्रांत मेरुदंड का ऊपरी भाग हर आयु के लोग हैं पीडि़त
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जवाब देंहटाएंgardan dard ka ilaaj in hindi
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