कैल्केनियल स्पर
लक्षण-इसके लक्षणों में एडी के निचे तेज या रह रह कर दर्द का आभास होता हैं लम्बे समय तक विश्राम करने से भी इसकी तीव्रता में बढोत्तरी होती हैं सुबह के वक्त पैरों को जमीन पर रखना मुसकिल हो जाता है हालत उस समय और खराब हो जाते हैं जब सख्त जमीन पर चलना या फिर कोई भारी बोझ उठाना पड़ता हैं !
कारण-इस समस्या के आम कारणों पर नजर डाले तो इनमें मोटापा फ्लैट फीट ऊंची एडी वाले जूते तनाव एडी से जुड़े टिशुओ का सूजन बार बार एडी पर दबाव देने वाले कार्य करने या फिर कठोर सतह पर लगातार चलने या दौड़ने आदि मुख्य वजह हैं कुछ विशेष प्रकार के आर्थराइटिस की वजह से भी हील स्पर हो सकता हैं !
शुरुआत में सामान्य होने के वावजूद कैल्केनियल स्पर (calcaneal spur) के कारण होने वाला एडी का दर्द अहसनीय हो सकता हैं इसके कारण न सिर्फ चलने फिरने में दिक्कत होती हैं वरन बल्कि जमीन पर पैर रखना दूभर हो जाता हैं यह समस्या एडी पर अत्यधिक दबाव चोट आघात मोटापा हाई हिल वाले जूते या चप्पल के प्रयोग से भी हो सकता हैं हलाकि इस समस्या का जड़ से इलाज़ सम्भव हैं फ्लैट फीट मोटापा एवं ऊंची एडी के चप्पल या जूते के उपयोग से भी हो सकता हैं कैल्केनियल स्पर
मूख्य वजह इन प्रकारो से हो सकता हैं एडी की हड्डी पर उभार भी वजह का कारण हैं इन्सान के पैर में 26 हड्डियां होती हैं इसमें से एडी की हड्डी (calcaneus) सबसे बड़ी होती हैं एडी की हड्डी को कुदरती रुप से शरीर का वजन उठाने और सन्तुलन के उद्देश्य से तैयार किया गया हैं जब हम पैदल चलते हैं तो यह उस दबाव को झेलती है जो जमीन पर पैर रखने से उत्पन्न होता हैं और इसके साथ ही यह हमें अगले कदम की ओर धकेलती हैं जानकारों का कहना हैं कि पैदल चलने से हमारे पैरों पर शरीक का वजन का 1.25 गुना अधिक दबाव पड़ता हैं वहीं दौड़ते समय 2.75 गुना अधिक दबाव हमारे पैरों को झेलना पड़ता है फलस्वरूप एडी के क्षतिग्रस्त होने और उसमे चोट लगने की आशन्का सबसे अधिक हो जाती हैं
एडी की हड्डी पर उभार-हील स्पर(heel spur) या कैल्केनियल स्पर (calcaneal spur) एडी की हड्डी पर दिखने वाला एक छोटा सा उभार होता हैं लगातार दबाव के चलते एडी की हड्डी के निचले हिस्से में कैल्सियम जमा होने लगता है जिसमें एडी की तह में गाठ या उभार जैसा हो जाता हैं यह लिगामेंट में सूजन हो जाने के कारण भी हो सकता है जब लिगामेंट का एडी की हड्डी के साथ कसाव कुछ बढ जाता हैं तो स्वयं को स्वस्थ्य करने के लिये हड्डी अतिरिक्त कैल्सियम छोडती है जो हील स्पर का रूप ले लेता हैं इसमे चलने फिरने में तकलीफ होती हैं एडी के पीछे पीड़ा महसूस होती है! !
मूख्य वजह इन प्रकारो से हो सकता हैं एडी की हड्डी पर उभार भी वजह का कारण हैं इन्सान के पैर में 26 हड्डियां होती हैं इसमें से एडी की हड्डी (calcaneus) सबसे बड़ी होती हैं एडी की हड्डी को कुदरती रुप से शरीर का वजन उठाने और सन्तुलन के उद्देश्य से तैयार किया गया हैं जब हम पैदल चलते हैं तो यह उस दबाव को झेलती है जो जमीन पर पैर रखने से उत्पन्न होता हैं और इसके साथ ही यह हमें अगले कदम की ओर धकेलती हैं जानकारों का कहना हैं कि पैदल चलने से हमारे पैरों पर शरीक का वजन का 1.25 गुना अधिक दबाव पड़ता हैं वहीं दौड़ते समय 2.75 गुना अधिक दबाव हमारे पैरों को झेलना पड़ता है फलस्वरूप एडी के क्षतिग्रस्त होने और उसमे चोट लगने की आशन्का सबसे अधिक हो जाती हैं
एडी की हड्डी पर उभार-हील स्पर(heel spur) या कैल्केनियल स्पर (calcaneal spur) एडी की हड्डी पर दिखने वाला एक छोटा सा उभार होता हैं लगातार दबाव के चलते एडी की हड्डी के निचले हिस्से में कैल्सियम जमा होने लगता है जिसमें एडी की तह में गाठ या उभार जैसा हो जाता हैं यह लिगामेंट में सूजन हो जाने के कारण भी हो सकता है जब लिगामेंट का एडी की हड्डी के साथ कसाव कुछ बढ जाता हैं तो स्वयं को स्वस्थ्य करने के लिये हड्डी अतिरिक्त कैल्सियम छोडती है जो हील स्पर का रूप ले लेता हैं इसमे चलने फिरने में तकलीफ होती हैं एडी के पीछे पीड़ा महसूस होती है! !
जड़ से इलाज़ सम्भव- अधिकान्श मौजूदा चिकित्सा प्रणालियो में सूजन को कम करके एडी पर पडने वाले दबाव की रोकथाम की जाती हैं आम उपायों में आइसपैक लगाना आराम करना आर्थोटिक पैडिंग जैसे हील कप व जूते के भीतर इनसोल का इस्तेमाल तथा व्यायाम सामिल है जब सब अन्य उपाय असफल हो जाते है तो गाठ को हटाने के लिये सर्जरी का रास्ता अपनाया जाता है इन उपायों से दर्द और इससें जुड़े लक्षणों से अस्थाई राहत तो मिल जाती है लेकिन मुल कारण का अनदेखा नहीं करना चाहिए इसके मुल कारण को जानकार ही इलाज किया जाना चाहिए होमियोपैथी में इसका इलाज तथा आयुर्वैदिक युनानी फार्मूला एवं इटरनैशनली एक्लेम्ड एडवांस फिजियोथेरेपिस्ट के द्वारा मुल सम्स्याओं को देखतें हुए इलाज किया जाना चाहिए मुल कारणो का पता कर सुजन और दर्द मान्सपेसियो मे खिचाव और अकडन को प्रभावि तरीकोँ से दूर करना चाहिए जहां तक सम्बन्धित इलाज है इन्हीें तरीकों से किया जाता हैं लेकिन होमियोपैथी और आयुर्वैदिक में बहुत अच्छा इलाज हैं
यह सब अगर आपको लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर से मिले और इलाज करायें सुरुआत ही खत्म का इलाज है न अनदेखा करें न अनदेखा होने दे बेहतर इलाज ही जीवन जीने की कला है
यह सब अगर आपको लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर से मिले और इलाज करायें सुरुआत ही खत्म का इलाज है न अनदेखा करें न अनदेखा होने दे बेहतर इलाज ही जीवन जीने की कला है
Good knowledge
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी प्राप्त की है
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