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|[1] जीवन जीने की कला – साधना हिन्दू धर्म समाज हिन्दी साहित्य और सामासिक संस्कृति स्वास्थ्य-सुख

 | जीवन जीने की कला – साधना हिन्दू धर्म समाज हिन्दी साहित्य और सामासिक संस्कृति स्वास्थ्य-सुख
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Hi I vinay singh im create a blog जीवन जीने की कला – साधना हिन्दू धर्म समाज हिन्दी साहित्य और सामासिक संस्कृति स्वास्थ्य-सुख --------by vinay singh                                                                                           http://vinaysinghsubansi.blogspot.com
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मनुष्य का सबसे बड़ा धन उसका स्वस्थ शरीर हैं इससे बड़ा जगत में कोई धन नहीं है यद्यपि बहुत लोग धन के पीछे अपना यथार्थ और भविष्य सब कुछ भुल जाते हैं। उनको बस सब कुछ धन ही एक मात्र लक्ष्य होता है। अन्तहीन समय आने पर उन्हें जब तक ज्ञात होता है तब तक देर हो चुकी होती है। क्या मैंने थोड़ा सा समय अपने लिए जिया काश समय अपने लिए कुछ निकाल पाता तो आज इस अवस्था में मै नहीं होता जो परिवार का मात्र एक प्रमुख सहारा है वह आज दुसरे की आश लगाये बैठा है। कहने का तात्पर्य यह है कि वह समय हम पर निर्भर करता है थोडा सा ध्यान चिन्तन करने के लिए अपने लिए उपयुक्त समय निकाल कर इस शारीरिक मापदंड को ठीक किया जाय। और शरीर को नुकसान से बचाया जाए और स्वास्थ्य रखा जाय और जीवन जीने की कला को समझा जाय।   vinaysinghsubansi.blogspot.com पर इसी पर कुछ हेल्थ टिप्स दिए गए हैं जो शायद आपके लिए वरदान साबित हो - धन्यवाद