रविवार

दिल से ज्यादा कोई उपजाऊ जगह हो ही नही सकती!

दिल से ज्यादा कोई उपजाऊ
जगह हो ही नही सकती!
क्योंकि,
यहां कुछ भी बोया जाये,
पनपता बहुत है . . .
फिर चाहे प्यार हो या नफरत....
आँख दुनिया की हर एक चीज देखती है, मगर जब आँख के अन्दर कुछ चला जाए तो उसे नहीं देख पाती.....
बिल्कुल इसी तरह इंसान दूसरे के ऐब तो देखता है पर अपने ऐब उसे नजर नही आते ...
              जो सफर की
            शुरुआत करते हैं,
         वे मंजिल भी पा लेते हैं.
                   बस,
            एक बार चलने का
         हौसला रखना जरुरी है.
                 क्योंकि,
          अच्छे इंसानों का तो
        रास्ते भी इन्तजार करते हैं.                                                                                                                    
       बातें झोंकों के साथ
हवा में जल्द ही फैल जाती हैं !
ज़रा संभल के बोलना,
लौटती है तो रूप बदल के आती हैं !!
मार्टिन लूथर ने कहा था...
"अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !
अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !
अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !
पर आगे बढ़ते रहो !"
अपनी सोच ओर दिशा बदलो
सफलता आपका स्वागत करेंगी.......
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर
उस पर चला जा सकता है..
लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो
एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।
यानी -
"बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं "
बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं
एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई
             इस संसार में....
      सबसे बड़ी सम्पत्ति "बुद्धि "
      सबसे अच्छा हथियार "धेर्य"
     सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास"
       सबसे बढ़िया दवा "हँसी"
   और आश्चर्य की बात कि "ये सब
              निशुल्क हैं "
।। सदा मुस्कुराते रहें।।
     दो हाथ से हम पचास लोगों को नही मार सकते..
पर दो हाथ जोङ कर हम करोङो लोगों का दिल जीत सकते है      --by vinay singh         ..http://vinaysinghsubansi.blogspot.com
kolkata SP Paul Pally, SP Paul Pally

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मनुष्य का सबसे बड़ा धन उसका स्वस्थ शरीर हैं इससे बड़ा जगत में कोई धन नहीं है यद्यपि बहुत लोग धन के पीछे अपना यथार्थ और भविष्य सब कुछ भुल जाते हैं। उनको बस सब कुछ धन ही एक मात्र लक्ष्य होता है। अन्तहीन समय आने पर उन्हें जब तक ज्ञात होता है तब तक देर हो चुकी होती है। क्या मैंने थोड़ा सा समय अपने लिए जिया काश समय अपने लिए कुछ निकाल पाता तो आज इस अवस्था में मै नहीं होता जो परिवार का मात्र एक प्रमुख सहारा है वह आज दुसरे की आश लगाये बैठा है। कहने का तात्पर्य यह है कि वह समय हम पर निर्भर करता है थोडा सा ध्यान चिन्तन करने के लिए अपने लिए उपयुक्त समय निकाल कर इस शारीरिक मापदंड को ठीक किया जाय। और शरीर को नुकसान से बचाया जाए और स्वास्थ्य रखा जाय और जीवन जीने की कला को समझा जाय।   vinaysinghsubansi.blogspot.com पर इसी पर कुछ हेल्थ टिप्स दिए गए हैं जो शायद आपके लिए वरदान साबित हो - धन्यवाद